त्वचा शरीर का सबसे बड़ा अंग होती है। कैंसर का इलाज किए जा रहे बच्चों के लिए त्वचा की देखभाल बहुत ज़रूरी है, क्योंकि त्वचा हमारे शरीर की रक्षा करने और हमारे विकास में मदद करने में कई भूमिका निभाती है। इनमें शामिल है:
बच्चों की त्वचा वयस्कों की त्वचा से भिन्न होती है और उन्हें अलग-अलग देखभाल की ज़रूरत होती है। जबकि शिशु की त्वचा में वयस्क व्यक्ति के समान ही तीन परतें होती हैं, लेकिन उनकी त्वचा बहुत पतली होती है और उनकी अवरोधन तथा तापमान-विनियमन क्रियाएं कम विकसित होती हैं। शिशु की त्वचा:
बच्चों के बढ़ने के साथ-साथ उनकी त्वचा भी विकसित होती जाती है। 6 वर्ष की आयु तक, बच्चों की त्वचा पतली होती है, उनमें वयस्क त्वचा की तुलना में कम पिगमेंटेशन होता है और पसीने की और वसामय ग्रंथियां कम सक्रिय होती हैं। इसका अर्थ यह है कि वयस्कों की तुलना में त्वचा की बहुत सारी रक्षक क्रियाएं अपेक्षाकृत धीमी होती हैं। 6 वर्ष की आयु तक, अधिकांश त्वचीय संरचना पूरी तरह से परिपक्व हो चुकी होती है। युवा वयस्कता तक, त्वचा जन्म की त्वचा की मोटाई से 20% अधिक मोटी हो जाएगी।
जब त्वचा पर चोट लगती है, तब शरीर त्वचा को संक्रमण से बचाने और चोट को तेज़ी से भरने में मदद करने वाले पदार्थों को खून में भेजता है। इसके बाद नई त्वचा और रक्त वाहिकाओं के निर्माण के लिए नई कोशिकाओं का उत्पादन होता है।
कैंसर का इलाज किए जा रहे बच्चों में इलाज के दुष्प्रभाव हो सकते हैं जो त्वचा के ठीक और पुनर्निर्मित होने के तरीके को प्रभावित करते हैं, इन इलाजों में सर्जरी में लगाए जाने वाले चीरे (कटाव) या रेडिएशन जैसे इलाज शामिल हैं।
घाव के निशान होना भी एक संभावना है। बच्चों के शरीर पर घाव का निशान रह जाना या न रहना आमतौर पर घाव की गहराई पर निर्भर करता है। घाव के निशानों में वृद्धि नहीं होती और समय के साथ-साथ जैसे-जैसे बच्चे का विकास होता है ये निशान छोटे होते जाएंगे।
अपने चिकित्सक से, कैंसर के इलाज के कारण घाव के निशान पड़ने से संबंधित प्रभावों के बारे में तथा इसके लिए क्या विकल्प उपलब्ध हो सकते हैं, इस बारे में बात करें।
कीमोथेरेपी और रेडिएशन इलाज रोगी की त्वचा को धूप के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकते हैं। इन दोनों की वजह से त्वचा अधिक तेज़ी से जल सकती है और साथ ही इनसे मेलेनोमा जैसे द्वितीयक कैंसर होने की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।
कैंसर का इलाज किए जाने के दौरान बच्चे की त्वचा को सुरक्षित रखने के लिए:
कैंसर के इलाज से गुज़र रहे रोगियों में त्वचा की प्रतिक्रियाएं आम हैं। चिकित्सीय टीम को इलाजों के साथ संभावित त्वचा समस्याओं के बारे में परिवार को सूचित करना चाहिए। माता-पिता को अपने बच्चे की त्वचा पर निम्नलिखित परिवर्तनों के लिए नियमित रूप से ध्यान देना चाहिए:
यदि बच्चे की त्वचा खुरदरी, लाल या दर्द युक्त हो – या संक्रमण के लक्षण दिखाई दें, जैसे मवाद या त्वचा के कटे-फटे हिस्सों को छूने पर दर्द अनुभव हो तो चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
रूखी त्वचा मृत त्वचा होती है और इसमें संक्रमण होने का जोखिम होता है, क्योंकि मृत त्वचा जीवाणु के लिए भोजन होती है। रूखी त्वचा के कारण त्वचा कमज़ोर भी हो जाती है जिससे वह आसानी से फटने लगती है और त्वचा को सुरक्षित रखने में मदद करने वाली बाहरी “मोमी” परत टूटने लगती है।
रूखी त्वचा के आम कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं:
रूखी त्वचा की देखभाल करने के कई तरीके हैं। इनमें शामिल है:
संभव है कि युवा वयस्क इस बात पर भी विचार करना चाहें:
कैंसर का इलाज किए जा रहे बच्चों के लिए रूखी त्वचा की देखभाल करना आवश्यक है। रूखी त्वचा वाले बच्चों को दिन में दो बार, जिसमें एक बार स्नान के बाद, मॉइस्चराइज़र लगाना चाहिए। एक सामान्य नियम के रूप में, सरल नुस्खे सर्वोत्तम होते हैं। सुगंधित लोशन का प्रयोग न करें क्योंकि उनमें अल्कोहल हो सकता है, जो त्वचा में जलन पैदा कर सकता है और मॉइस्चराइज़ करने में उन्हें कम प्रभावशील बना सकता है। “सुगंध-रहित” लोशन ढूंढें, क्योंकि बेचने के लिए “असुगंधित” के रूप में प्रचार किए जाने वाले लोशनों में वास्तव में खुशबू हो सकती है।
लोशन की तुलना में मरहम और क्रीम नमी बनाए रखने के लिए अधिक प्रभावी होते हैं। रूखी त्वचा के लिए मॉइस्चराइज़िंग उत्पादों के उदाहरणों में निम्नलिखित शामिल हैं:
यदि दिन में कई बार लोशन का उपयोग करने के बाद भी त्वचा रूखी रहती है, तो फिर क्रीम लगाकर देखें। यदि क्रीम लगाने से भी पर्याप्त नमी नहीं मिलती तो मरहम आज़माएं।
मॉइस्चराइज़र लगाने का सबसे अच्छा समय स्नान करने या शॉवर लेने के तुरंत बाद का होता है। मॉइस्चराइज़र लगाने से पहले त्वचा को पोंछ लें। इससे त्वचा में नमी बने रहने में मदद मिलती है। इसके अतिरिक्त, त्वचा को अधिक ढकने वाले कपड़े पहनें, जैसे लंबी बांह वाली शर्ट। यह त्वचा को हवा के कारण त्वचा की नमी खोने से बचाता है।
अपनी चिकित्सीय टीम से त्वचा की देखभाल के बारे में बात करें। यह विशेषकर रेडिएशन इलाज के दौरान महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस समय के दौरान त्वचा पर क्या लगाया जा सकता है इस पर प्रतिबंध होता है। साथ ही, किसी भी घरेलू इलाज या संपूरक इलाज का उपयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से पूछें, क्योंकि ये उपचार इलाज में व्यवधान उत्पन्न कर सकते हैं और/या जलन अथवा संक्रमण होने की संभावना को बढ़ा सकते हैं।
स्टेरॉयड दवाइयों को कैंसर के इलाज के दौरान सूजन को कम करने, कीमोथेरेपी या रेडिएशन के कारण जी मिचलाने या अतिसंवेदनशीलता प्रतिक्रियाओं का इलाज करने या कभी-कभी खुद कैंसर इलाज के भाग के रूप में निर्धारित किया जा सकता है। यद्यपि बहुत से रोगियों के लिए स्टेरॉयड कैंसर के इलाज का एक अनिवार्य भाग होती हैं, लेकिन इनके कारण त्वचा पतली हो सकती है। इससे त्वचा सामान्य की तुलना में अधिक नाजुक हो जाती है और इससे संक्रमण होने व घाव ठीक से न भर पाने का जोखिम बढ़ सकता है।
स्टेरॉयड से वजन बढ़ सकता है जिसके कारण "स्ट्रेच मार्क या खिंचाव के निशान" हो सकते हैं, जो कि तीव्र विकास या वजन बढ़ने तथा त्वचा कमज़ोर होने के कारण त्वचा में उभरने वाली धारियां होती हैं। स्ट्रेच मार्क अक्सर स्थायी होते हैं और इनसे संक्रमण होने की संभावना भी बढ़ सकती है।
स्टेरॉयड का सेवन करने के दौरान, रोगियों को अपनी त्वचा का अधिक ध्यान रखना चाहिए। त्वचा को साफ़ और सूखा रखें और चिकित्सीय टीम द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार मॉइस्चराइज़र लगाएं। स्टेरॉयड से होने वाले अधिकतर दुष्प्रभाव इलाज समाप्त होने के बाद दूर हो जाते हैं। रोगियों को स्टेरॉयड से होने वाले त्वचा संबंधी दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में अपने चिकित्सकों से बात करनी चाहिए।
स्नान और शॉवर का समय त्वचा की देखभाल के लिए एक महत्वपूर्ण समय होता है। हालांकि प्रति दिन एक से अधिक बार स्नान करने से त्वचा रूखी हो सकती है, परंतु रूखी या पपड़ीदार त्वचा वाले रोगियों को:
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समीक्षा की गई: जून 2018