मुख्य विषयवस्तु में जाएं

त्वचा की सुरक्षा

त्वचा के बारे में

त्वचा शरीर का सबसे बड़ा अंग होती है। कैंसर का इलाज किए जा रहे बच्चों के लिए त्वचा की देखभाल बहुत ज़रूरी है, क्योंकि त्वचा हमारे शरीर की रक्षा करने और हमारे विकास में मदद करने में कई भूमिका निभाती है। इनमें शामिल है:

  • एक अवरोधक के रूप में कार्य करते हुए, शरीर को नमी, ठंड, धूप, और रोगाणुओं से बचाना
  • शरीर के तापमान को नियंत्रित करना
  • पानी की कमी और अत्यधिक गर्मी से बचाना
  • ठंड, गर्मी, दबाव, खुजली और दर्द जैसी संवेदनाओं को महसूस करना
  • पानी, वसा और अन्य उत्पादों को संग्रहित करना जो मेटाबोलिज्म (चयापचय) को प्रभावित करते हैं
  • हार्मोन का उत्पादन करना जो शरीर के कुछ अंगों की गतिविधि को नियंत्रित और दुरुस्त रखते हैं
त्वचा तीन परतों से बनी होती है: 
  1. एपिडर्मिस या बाह्य त्वचा, यह त्वचा की सबसे बाहरी परत होती है, जो एक जलरोधी अवरोधन प्रदान करती है और हमारी त्वचा के रंग का निर्माण करती है
  2. डर्मिस या अंत: त्वचा, जिसमें कठोर संयोजी ऊतक, बाल कूप और पसीने की ग्रंथियां मौजूद होती हैं
  3. सब्क्यूटेनीअस या त्वचा के नीचे का ऊतक (हाइपोडर्मिस), जो वसा और संयोजी ऊतक से बना होता है

बच्चों की त्वचा वयस्कों की त्वचा से भिन्न होती है और उन्हें अलग-अलग देखभाल की ज़रूरत होती है। जबकि शिशु की त्वचा में वयस्क व्यक्ति के समान ही तीन परतें होती हैं, लेकिन उनकी त्वचा बहुत पतली होती है और उनकी अवरोधन तथा तापमान-विनियमन क्रियाएं कम विकसित होती हैं। शिशु की त्वचा:

  • कम प्रतिरोधी-क्षमता वाली होती है
  • रासायनिक, भौतिक और सूक्ष्मजीवी प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील होती है
  • बहुत जल्दी रूखी होने का खतरा होता है
  • यूवी किरणों, अत्यधिक तापमानों और तापमान परिवर्तनों के प्रति अधिक संवेदनशील होती है
  • तत्वों से या दबाव से, बहुत तेज़ी से क्षतिग्रस्त होने की संभावना होती है
  • अधिक अवशोषक होती है, इसलिए त्वचा पर लगाई जाने वाली दवाइयों जैसे कि स्टेरॉयड क्रीम को लगाते समय अत्यधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है

बच्चों के बढ़ने के साथ-साथ उनकी त्वचा भी विकसित होती जाती है। 6 वर्ष की आयु तक, बच्चों की त्वचा पतली होती है, उनमें वयस्क त्वचा की तुलना में कम पिगमेंटेशन होता है और पसीने की और वसामय ग्रंथियां कम सक्रिय होती हैं। इसका अर्थ यह है कि वयस्कों की तुलना में त्वचा की बहुत सारी रक्षक क्रियाएं अपेक्षाकृत धीमी होती हैं। 6 वर्ष की आयु तक, अधिकांश त्वचीय संरचना पूरी तरह से परिपक्व हो चुकी होती है। युवा वयस्कता तक, त्वचा जन्म की त्वचा की मोटाई से 20% अधिक मोटी हो जाएगी।

त्वचा कैसे ठीक होती है

जब त्वचा पर चोट लगती है, तब शरीर त्वचा को संक्रमण से बचाने और चोट को तेज़ी से भरने में मदद करने वाले पदार्थों को खून में भेजता है। इसके बाद नई त्वचा और रक्त वाहिकाओं के निर्माण के लिए नई कोशिकाओं का उत्पादन होता है। 

कैंसर का इलाज किए जा रहे बच्चों में इलाज के दुष्प्रभाव हो सकते हैं जो त्वचा के ठीक और पुनर्निर्मित होने के तरीके को प्रभावित करते हैं, इन इलाजों में सर्जरी में लगाए जाने वाले चीरे (कटाव) या रेडिएशन जैसे इलाज शामिल हैं। 

घाव के निशान होना भी एक संभावना है। बच्चों के शरीर पर घाव का निशान रह जाना या न रहना आमतौर पर घाव की गहराई पर निर्भर करता है। घाव के निशानों में वृद्धि नहीं होती और समय के साथ-साथ जैसे-जैसे बच्चे का विकास होता है ये निशान छोटे होते जाएंगे। 

अपने चिकित्सक से, कैंसर के इलाज के कारण घाव के निशान पड़ने से संबंधित प्रभावों के बारे में तथा इसके लिए क्या विकल्प उपलब्ध हो सकते हैं, इस बारे में बात करें।

त्वचा की सुरक्षा और धूप

कीमोथेरेपी और रेडिएशन इलाज रोगी की त्वचा को धूप के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकते हैं। इन दोनों की वजह से त्वचा अधिक तेज़ी से जल सकती है और साथ ही इनसे मेलेनोमा जैसे द्वितीयक कैंसर होने की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।

कैंसर का इलाज किए जाने के दौरान बच्चे की त्वचा को सुरक्षित रखने के लिए:

  • बाहर जाते समय कम से कम एसपीएफ 30 या उससे अधिक क्षमता वाला सनस्क्रीन लगाएं।
  • बाहर जाते समय लंबी बांह वाले कपड़े और टोपी पहन कर निकलें। यह सनस्क्रीन के अलावा बरती जाने वाली सावधानी है, क्योंकि बच्चे की त्वचा को सुरक्षित रखने के लिए हो सकता है कि एसपीएफ-सुरक्षा के साथ कपड़े भी पर्याप्त न हों। 
  • जितना संभव हो बाहर कम निकलें, खासतौर पर सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच, जब धूप बहुत तेज़ होती है।

ऐसे त्वचा परिवर्तनों पर नज़र रखें 

कैंसर के इलाज से गुज़र रहे रोगियों में त्वचा की प्रतिक्रियाएं आम हैं। चिकित्सीय टीम को इलाजों के साथ संभावित त्वचा समस्याओं के बारे में परिवार को सूचित करना चाहिए। माता-पिता को अपने बच्चे की त्वचा पर निम्नलिखित परिवर्तनों के लिए नियमित रूप से ध्यान देना चाहिए:

  • पपड़ीदार, लाल या रूखी त्वचा
  • त्वचा में दरारें
  • अंगुली के जोड़ों या कोहनियों सहित, जोड़ों को ढकने वाली त्वचा के बीच की रेखाओं में किसी भी तरह का रक्तस्राव होना
  • रंग में परिवर्तन
  • संवेदना में परिवर्तन (जैसे दर्द, सुन्नपन, जलन या झुनझुनी)

यदि बच्चे की त्वचा खुरदरी, लाल या दर्द युक्त हो – या संक्रमण के लक्षण दिखाई दें, जैसे मवाद या त्वचा के कटे-फटे हिस्सों को छूने पर दर्द अनुभव हो तो चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। 

रूखी त्वचा के लिए देखभाल

रूखी त्वचा मृत त्वचा होती है और इसमें संक्रमण होने का जोखिम होता है, क्योंकि मृत त्वचा जीवाणु के लिए भोजन होती है। रूखी त्वचा के कारण त्वचा कमज़ोर भी हो जाती है जिससे वह आसानी से फटने लगती है और त्वचा को सुरक्षित रखने में मदद करने वाली बाहरी “मोमी” परत टूटने लगती है।

रूखी त्वचा के आम कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • बार-बार स्नान करना
  • कठोर साबुन (कोई भी साबुन जो pH संतुलित या न्यूट्रल नहीं है या जिसमें खुशबू है)
  • अत्यधिक तापमान (बाहर और अंदर)
  • हवा
  • सूर्य के प्रकाश में रहना (बादल वाले दिनों सहित)
  • दवाइयां (जैसे कीमोथेरेपी या स्टेरॉयड)
  • बोन मैरो ट्रांसप्लांट (स्टेम सेल ट्रांसप्लांट)
  • पानी की कमी (तरल पदार्थों का पर्याप्त सेवन न करना)
  • स्टेरॉयड-प्रेरित उच्च रक्त शर्करा
  • कुछ संक्रमण

रूखी त्वचा की देखभाल करने के कई तरीके हैं। इनमें शामिल है:

  • स्नान के बाद मॉइस्चराइज़र लगाना (नीचे देखें)
  • पानी और अन्य तरल पदार्थों का खूब सेवन करना
  • ठंड और हवा से त्वचा की रक्षा करना
  • सूखी गर्मी से बचना
  • अंगुली के नाखूनों को काटते रहना

संभव है कि युवा वयस्क इस बात पर भी विचार करना चाहें:

  • कटने या जलन से बचने के लिए ब्लेड की बजाय इलेक्ट्रिक रेज़र का उपयोग करना
  • अपने चिकित्सक द्वारा निर्देशित अनुसार डियोडरेंट का उपयोग करना

रूखी त्वचा को मॉइस्चराइज़ करना

कैंसर का इलाज किए जा रहे बच्चों के लिए रूखी त्वचा की देखभाल करना आवश्यक है। रूखी त्वचा वाले बच्चों को दिन में दो बार, जिसमें एक बार स्नान के बाद, मॉइस्चराइज़र लगाना चाहिए। एक सामान्य नियम के रूप में, सरल नुस्खे सर्वोत्तम होते हैं। सुगंधित लोशन का प्रयोग न करें क्योंकि उनमें अल्कोहल हो सकता है, जो त्वचा में जलन पैदा कर सकता है और मॉइस्चराइज़ करने में उन्हें कम प्रभावशील बना सकता है। “सुगंध-रहित” लोशन ढूंढें, क्योंकि बेचने के लिए “असुगंधित” के रूप में प्रचार किए जाने वाले लोशनों में वास्तव में खुशबू हो सकती है। 

लोशन की तुलना में मरहम और क्रीम नमी बनाए रखने के लिए अधिक प्रभावी होते हैं। रूखी त्वचा के लिए मॉइस्चराइज़िंग उत्पादों के उदाहरणों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • मरहम जैसे A+D® (ए+डी) और Aquaphor®(एक्वाफ़ोर)। ये पेट्रोलियम आधारित होते हैं और रूखी त्वचा के लिए सबसे प्रभावी इलाज होते हैं।
  • क्रीम जैसे कि Eucerin®(यूसरिन)। ये लोशन से अधिक गाढ़ी होती हैं और त्वचा को मॉइस्चराइज़ करने में अधिक प्रभावशाली होती हैं।
  • लोशन जैसे कि Keri®(केरी), Lubriderm®(लूब्रीडर्म), और Aveeno®(एवीनो)। लोशन में पानी मिला होता है और ये सबसे सौम्य मॉइस्चराइज़र होते हैं। वे हल्की रूखी त्वचा के लिए सबसे उपयुक्त हैं।

यदि दिन में कई बार लोशन का उपयोग करने के बाद भी त्वचा रूखी रहती है, तो फिर क्रीम लगाकर देखें। यदि क्रीम लगाने से भी पर्याप्त नमी नहीं मिलती तो मरहम आज़माएं।

मॉइस्चराइज़र लगाने का सबसे अच्छा समय स्नान करने या शॉवर लेने के तुरंत बाद का होता है। मॉइस्चराइज़र लगाने से पहले त्वचा को पोंछ लें। इससे त्वचा में नमी बने रहने में मदद मिलती है। इसके अतिरिक्त, त्वचा को अधिक ढकने वाले कपड़े पहनें, जैसे लंबी बांह वाली शर्ट। यह त्वचा को हवा के कारण त्वचा की नमी खोने से बचाता है।

अपनी चिकित्सीय टीम से त्वचा की देखभाल के बारे में बात करें। यह विशेषकर रेडिएशन इलाज के दौरान महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस समय के दौरान त्वचा पर क्या लगाया जा सकता है इस पर प्रतिबंध होता है। साथ ही, किसी भी घरेलू इलाज या संपूरक इलाज का उपयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से पूछें, क्योंकि ये उपचार इलाज में व्यवधान उत्पन्न कर सकते हैं और/या जलन अथवा संक्रमण होने की संभावना को बढ़ा सकते हैं।

त्वचा की देखभाल और स्टेरॉयड दवाइयां

स्टेरॉयड दवाइयों को कैंसर के इलाज के दौरान सूजन को कम करने, कीमोथेरेपी या रेडिएशन के कारण जी मिचलाने या अतिसंवेदनशीलता प्रतिक्रियाओं का इलाज करने या कभी-कभी खुद कैंसर इलाज के भाग के रूप में निर्धारित किया जा सकता है। यद्यपि बहुत से रोगियों के लिए स्टेरॉयड कैंसर के इलाज का एक अनिवार्य भाग होती हैं, लेकिन इनके कारण त्वचा पतली हो सकती है। इससे त्वचा सामान्य की तुलना में अधिक नाजुक हो जाती है और इससे संक्रमण होने व घाव ठीक से न भर पाने का जोखिम बढ़ सकता है।

स्टेरॉयड से वजन बढ़ सकता है जिसके कारण "स्ट्रेच मार्क या खिंचाव के निशान" हो सकते हैं, जो कि तीव्र विकास या वजन बढ़ने तथा त्वचा कमज़ोर होने के कारण त्वचा में उभरने वाली धारियां होती हैं। स्ट्रेच मार्क अक्सर स्थायी होते हैं और इनसे संक्रमण होने की संभावना भी बढ़ सकती है।

स्टेरॉयड का सेवन करने के दौरान, रोगियों को अपनी त्वचा का अधिक ध्यान रखना चाहिए। त्वचा को साफ़ और सूखा रखें और चिकित्सीय टीम द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार मॉइस्चराइज़र लगाएं। स्टेरॉयड से होने वाले अधिकतर दुष्प्रभाव इलाज समाप्त होने के बाद दूर हो जाते हैं। रोगियों को स्टेरॉयड से होने वाले त्वचा संबंधी दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में अपने चिकित्सकों से बात करनी चाहिए।

स्नान और त्वचा की देखभाल

स्नान और शॉवर का समय त्वचा की देखभाल के लिए एक महत्वपूर्ण समय होता है। हालांकि प्रति दिन एक से अधिक बार स्नान करने से त्वचा रूखी हो सकती है, परंतु रूखी या पपड़ीदार त्वचा वाले रोगियों को:

  • नियमित रूप से स्नान करना या शॉवर लेना चाहिए
  • हल्के गर्म पानी का उपयोग करना चाहिए
  • एक सौम्य pH न्यूट्रल साबुन का उपयोग करना चाहिए (जैसे कि Dove®(डव))
  • जोर से रगड़ना नहीं चाहिए
  • त्वचा को धीरे से पोंछकर सुखाएं


टूगेदर
इस आलेख में उल्लेखित किसी भी ब्रांडेड उत्पाद का समर्थन नहीं करता है।


समीक्षा की गई: जून 2018